Monday, 15 April 2019

माहे शाबानुल मुअज़्ज़म की फज़िलत

🌹✨माहे शाबानुल मुअज़्ज़म की फज़िलत🌹✨
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          ❤अशरफ़ी📝पैग़ाम❤
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            🌸हदीसे नबवी(ﷺ)🌸

💎हुज़ूर नबी-ए-करीम (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का शाबानुल मुअज़्ज़म के बारे में फरमान है की…

❝ शाबान मेरा महीना है और रमज़ान अल्लाह (عَزَّوَجَلَّ) का महीना है.!❞

● सुब्हान'अल्लाह.! माहे शाबानुल मुअज़्ज़म की अज़्मतो पर कुर्बान.! इसकी फज़िलत के लिये इतना ही काफी है के हमारे आक़ा (صلى الله عليه وسلم) ने इसे “मेरा महीना” फ़रमाया.!

       🍀शाबान के ५ हरुफ़ की बहारे🍀
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🌺हज़रत गौषे आज़म (رضي الله عنه) लफ्ज़ “शाबान” के ५ हरुफ़ के मुतअल्लिक़ नकल फरमाते है…
★ शिन : से मुराद “शरफ” यानी बुज़ुर्गी,
★ ऍन : से मुराद “उलुव्व्” यानी बुलंदी,
★ बा : से मुराद “बीर” यानी एहसान व भलाई,
★ अलिफ़ : से मुराद “उल्फ़त” और,
★ नून : से मुराद “नूर” है.!

👉🏽तो ये तमाम चीज़े अल्लाह (عَزَّوَجَلَّ) अपने बन्दों को इस महीने में अता फरमाता है, ये वो महीना है जिस में नेकियों के दरवाज़े खोल दिये जाते है, बरकतों का नुज़ूल होता है, खताए मिटा दी जाती है और गुनाहो का कफ़्फ़ारा अदा किया जाता है, और हुज़ूर (ﷺ) पर दुरुदे पाक की कसरत की जाती है और ये नबी-ए-मुख्तार (صلى الله عليه وسلم) पर दुरुद भेजने का महीना है.!

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📚गुन्यातू-तालिबिन, जिल्द नंबर:१, सफ़ा नंबर:३४१.
📚आक़ा का महीना, सफ़ा नंबर:२-३.

💦नोट :- पोस्ट ज़रूर शेयर करें और हमेशा जारी रहने वाले सवाब-ए-जारीया के हक़दार बने.!
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🌴ऐ अल्लाह (عَزَّوَجَلَّ)… हमे पढ़ने, लिखने, सुन्ने, सुनाने से ज़्यादा अमल करने की तौफ़ीको रफ़ीक अता फ़रमा.
●آمِيّنْ يَارَبَّ الْعَالَمِين.
●आमीन… या रब्बुल आलमीन.
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   💠तालीब-ए-दुआ : अशरफ़ी पैग़ाम💠
           📲+919033256991📱
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